सनातन धर्म का सबसे आरम्भिक स्रोत है। इसमें १० मण्डल, १०२८ सूक्त और वर्तमान में १०,४६२ मन्त्र हैं, मन्त्र संख्या के विषय में विद्वानों में कुछ मतभेद है। मन्त्रों में देवताओं की स्तुति की गयी है। यज्ञ में देवताओं का आह्वान करने के लिए इसमें मन्त्र हैं। यही पहला वेद है। इतिहासकार ऋग्वेद को हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की पहली रचनाओं में से एक मानते हैं। यह संसार के उन पहले लेखों में से एक है जो आज तक किसी तरह से लोकप्रिय हैं। यह सनातन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। ऋग्वेद का अध्ययन करने वाले व्यक्ति को होत्र कहते हैं।
ऋग्वेद सबसे पुराना ज्ञात संस्कृत वैदिक ग्रन्थ है। यह किसी भी इंडो-यूरोपीय भाषा में मौजूदा सबसे पुराने ग्रन्थों में से एक है, जिसकी मूल परतें इसमें मिलती हैं। दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से ऋग्वेद की ध्वनियों और ग्रन्थों को मौखिक रूप से फैलाया गया है। भाषायी और दार्शनिक साक्ष्य बताते हैं कि ऋग्वेद संहिता का एक भाग उत्तर-पश्चिमी भारत में बनाया गया था।