कबीरदास या कबीर 15वीीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवव और सींत थे। वे वहन्दी सावहत्य के भक्तिकाल
के विर्गुण शाखा के ज्ञािमर्ी उपशाखा के महाितम कवव हैं। इिकी रचिाओीं िे वहन्दी प्रदेश के भक्ति
आींदोलि को र्हरे स्तर तक प्रभाववत वकया। उिकी रचिाएँ वसक्ोीं के आवद ग्रींथ में सक्तिवलत की र्यी हैं।
वे वहन्दू धमु व इस्लाम को मािते हुए धमु एक सवोच्च ईश्वर में ववश्वास रखते थे। उन्ोींिे सामाज में फै ली
कग रीवतयोीं, कमुकाींड, अींधववश्वास की विींदा की और सामावजक बगराइयोीं की कडी आलोचिा भी। उिके
जीविकाल के दौराि वहन्दू और मगसलमाि दोिोीं िे उन्ें बहुत सहयोर् वकया। कबीर पींथ िामक सम्प्रदाय
इिकी वशक्षाओीं के अिगयायी हैं हजारी प्रसाद विवेदी िे इन्ें मस्तमौला कहा।