सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिन्दू धर्मावलम्बियों के बीच सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की सत्यनारायण व्रत कथा है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड से संकलित की गई है।
व्रत कथा के अलग-अलग अध्यायों में छोटी कहानियों में बताया गया है कि सत्य का पालन नहीं करने पर क्या होता है। इसलिए, जीवन में सत्य व्रत का पालन पूरी निष्ठा और बल से करना चाहिए। ऐसा न करने पर भगवान नाराज होते हैं और अपनी संपत्ति और मित्रों के सुख से वंचित करते हैं। इसलिए यह कहानी सच्चाई की प्रतिष्ठा का लोकप्रिय और सर्वमान्य धार्मिक साहित्य हैं। इस कहानी का परिवार प्रायः पूर्णमासी को पढ़ता है। अन्य पर्वों पर भी इस कहानी को विधिपूर्वक बताया गया है।